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Meta Description“अदृश्य मूल्य की प्रतिध्वनि” कविता के माध्यम से आत्मसम्मान, उपेक्षा और मौन शक्ति पर विस्तृत प्रतिबिंब।---🔑 Keywordsआत्मसम्मान, अदृश्य मूल्य, अवमूल्यन, मानव सम्मान, दार्शनिक कविता, मौन शक्ति, साहित्यिक ब्लॉग, जीवन प्रतिबिंब, मौन, प्रशंसा---🌟 Hashtags#अदृश्य_मूल्य_की_प्रतिध्वनि #आत्मसम्मान #मानव_सम्मान #मौन_शक्ति #साहित्यिक_ब्लॉग #अवमूल्यन #जीवन_प्रतिबिंब #नीरव_कविता #दार्शनिक_कविता #प्रेम_और_सम्मान

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🌿 अदृश्य मूल्य की प्रतिध्वनि आत्मसम्मान, उपेक्षा और मौन शक्ति पर एक साहित्यिक प्रतिबिंब --- 🕊️ कविता: अदृश्य मूल्य की प्रतिध्वनि जब मैं अपनी अहमियत दिखाता हूँ, तुम उसे बेकार समझ फेंक देते हो— फिर क्यों पुकारते हो मुझे हर हाल में? क्या मैं सिर्फ तुम्हारे आराम का साधन हूँ? जब मैं अपनी जगह बनाना चाहता हूँ, तुम मुझे किसी और चेहरे के पीछे छिपा देते हो। फिर भी, ख़ामोशी में तुम्हारी आवाज़ सुनता हूँ— अपनी पहचान खोकर भी खड़ा हूँ। अनदेखी क़ीमत, एक अनकही पीड़ा, देर से मिला सम्मान, तोड़ दे सीने की दीवार। पर मैं खड़ा हूँ, तारीफ़ के लिए नहीं, सत्य के रास्ते पर, जीवन की बयार। --- 🌺 प्रस्तावना जीवन के सफर में अक्सर हम ऐसी स्थितियों से गुजरते हैं जहाँ हमारी अहमियत तब तक नहीं समझी जाती जब तक हमारी उपस्थिति जरूरी न हो। कविता “अदृश्य मूल्य की प्रतिध्वनि” इसी अनुभव की गूंज है। यह कविता केवल अवहेलना की पीड़ा नहीं दिखाती; यह यह भी बताती है कि कई बार लोग अपनी सुविधा और स्वार्थ के अनुसार दूसरों की अहमियत तय कर लेते हैं। “जब मैं अपनी अहमियत दिखाता हूँ, तुम उसे बेकार समझ फेंक देते हो”— यह पंक्ति ह...