नींदहीन_किस्मत_के_आँसू #कविता #दार्शनिक_ब्लॉग #भावनात्मक_गहराई #भाग्य_और_प्यार #जीवन_की_शिक्षा #जागे_हालांकि_थके #सहानुभूति #भावना_और_शांति #कान्हो_और_स्वीकृति
--- 🌙 नींदहीन किस्मत के आँसू --- ✨ भाग १ – परिचय कभी-कभी रात केवल अंधेरी नहीं होती—यह भारी होती है। भारी होती है उन विचारों से जो सोने नहीं देते, और उन सपनों से जो बीच में ही झिलमिला जाते हैं। > “मैं तेरी किस्मत पर रो रहा हूँ, मैं जागा हूँ फिर भी सोया सा हूँ।” यह पंक्ति उस नाजुक संतुलन को दर्शाती है, जहाँ सचेत जागरूकता और आंतरिक थकावट एक साथ मौजूद हैं। कवि की आँखों से बहते आँसू ईर्ष्या या नफरत के कारण नहीं हैं। यह शांत प्रतिबिंब है, जहाँ कोई दूसरों की सफलता देखता है और अपने अधूरे सपनों को महसूस करता है। कविता उस विरोधाभास को दिखाती है—जागते हुए भी नींद में डूबे रहने का, जो मानव जीवन के भाव, इच्छाएँ और स्वीकार्यता का प्रतीक है। --- 🌌 भाग २ – कविता “नींदहीन किस्मत के आँसू” मैं तेरी किस्मत पर रो रहा हूँ, जैसे नियति बजा रही हो अपनी मूक धुन। आँखें खुली हैं, फिर भी नींद नहीं आती, सपने भीतर कहीं झिलमिलाते रहते हैं। तेरी खुशियाँ खिलती हैं उजाले में, मैं खो जाता हूँ बिना देखे सायों में। रात और सुबह के बीच मैं खड़ा, आधा प्यार, आधा अकेला। हृदय वही कहता जो आँखें छुपाती हैं, कभी-कभ...