Posts

Showing posts with the label आधुनिक समाज

Meta Description“रिश्ते बन गए सपने” — एक हृदयस्पर्शी हिंदी कविता जो बताती हैकैसे आधुनिक जीवन में सच्चे रिश्तों की गर्माहट कम होती जा रही है।भावना, दर्शन और जीवन की गहराई से जुड़ी एक संवेदनशील रचना।---🌸 Labelsकविता, हिंदी कविता, दर्शन, रिश्ते, भावनाएँ, प्रेम, आत्मीयता---🌿 Keywordsहिंदी कविता, रिश्तों पर कविता, भावनात्मक कविता,प्रेम कविता, रिश्ते बन गए सपने, दिल की बात,जीवन दर्शन, आधुनिक समाज, सच्चे संबंध---🌺 Hashtags#हिंदीकविता #रिश्ते #भावनाएँ #कविताजगत #प्रेम #जीवनदर्शन #हृदयस्पर्शीशब्द #रिश्तेबनगएसपने

Image
🌺 शीर्षक: "रिश्ते बन गए सपने" --- 🕊️ कविता: रिश्ते बन गए सपने रिश्ते बन गए अब तो सपने, कोई अपनों में नहीं अपने। तुम न जाने, तुम न समझे, मन की बातों को कौन कहे? चेहरे सब हैं, पर पहचान नहीं, पास होकर भी साथ नहीं। जो था सच्चा, अब दूर गया, रिश्तों का अर्थ अधूरा रहा। तुम न जाने, तुम न समझे, ये दिल अब किससे कहे? रिश्ते बन गए अब तो सपने, साँसों में हैं कुछ अपने–अपने। --- 🌿 कविता का भावार्थ और दर्शन यह कविता हमारे आधुनिक जीवन की सच्चाई को उजागर करती है — जहाँ रिश्ते अब केवल नाम भर रह गए हैं, आत्मीयता खो गई है। “रिश्ते बन गए सपने” एक ऐसा भाव है जो हर उस व्यक्ति ने महसूस किया है, जिसने कभी सच्चे संबंधों की तलाश की, पर उन्हें खो दिया। “कोई अपनों में नहीं अपने” — यह पंक्ति आत्मीयता की कमी का प्रतीक है। आज के समय में लोग साथ होते हुए भी दूर हैं। डिजिटल युग में हम जुड़े तो हैं, पर जुड़े नहीं हैं दिल से। “तुम न जाने, तुम न समझे” — यह एक गहरी शिकायत है, किसी ऐसे व्यक्ति से जो पास था, पर मन नहीं समझ पाया। यह पंक्ति दर्शाती है कि रिश्तों में समझ सबसे बड़ा मूल्य है, जो अगर खो जाए...